BA SOL Hindi AECC 2022 Answer 1ST

 

संप्रेषण दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच मौखिक, लिखित, सांकेतिक या प्रतिकात्मक माध्यम से विचार एवं सूचनाओं के प्रेषण की प्रक्रिया है। संप्रेषण हेतु सन्देश का होना आवश्यक है। संप्रेषण में पहला पक्ष प्रेषक (सन्देश भेजने वाला) तथा दूसरा पक्ष प्रेषणी (सन्देश प्राप्तकर्ता) होता है। संप्रेषण उसी समय पूर्ण होता है जब सन्देश मिल जाता है और उसकी स्वीकृति या प्रत्युत्तर दिया जाता है।


संप्रेषण के प्रकार


1. मौखिक संप्रेषण 

जब कोई संदेश मौखिक अर्थात मुख से बोलकर भेजा जाता है तो उसे मौखिक संप्रेषण कहते हैं। यह भाषण, मीटिंग, सामुहिक परिचर्चा, सम्मेलन, टेलीफोन पर बातचीत, रेडियो द्वारा संदेश भेजना आदि हो सकते हैं। यह संप्रेषण का प्रभावी एवं सस्ता तरीका है। यह आन्तरिक एवं बाह्य दोनों प्रकार के संप्रेषण के लिए सामान्य रूप से प्रयोग किया जाता है। मौखिक संप्रेषण की सबसे बड़ी कमी है कि इसे प्रमाणित नहीं किया जा सकता क्योंकि इसका कोई प्रमाण नहीं होता।

2. लिखित संप्रेषण 

जब संदेश को लिखे गये शब्दों में भेजा जाता है, जैसे पत्र, टेलीग्राम, मेमो, सकर्लूर, नाेिटस, रिपोटर् आदि, ताे इसे लिखित संप्रेषण कहते है। इसकी आवश्यकता पड़ने पर पुष्टि की जा सकती है। सामान्यत: लिखित संदेश भेजते समय व्यक्ति संदेश के सम्बन्ध में सावधान रहता है। यह औपचारिक होता है। इसमें अपनापन नहीं होता तथा गोपनीयता को बनाए रखना भी कठिन होता है।

3. गैर-शाब्दिक संप्रेषण 

ऐसा संप्रेषण जिसमें शब्दों का प्रयोग नहीं होता है गैर शाब्दिक संप्रेषण कहलाता है। जब आप कोई तस्वीर, ग्राफ, प्रतीक, आकृति इत्यादि देखते हैं। आपको उनमें प्रदर्शित संदेश प्राप्त हो जाता है। यह सभी दृश्य संप्रेषण हैं। घन्टी, सीटी, बज़र, बिगुल ऐसे ही उपकरण हैं जिनके माध्यम से हम अपना संदेश भेज सकते हैं। इस प्रकार की आवाजें ‘श्रुति’ कहलाती है। इसी प्रकार से शारीरिक मुद्राओं जिसमें शरीर के विभिन्न अंगों का उपयोग किया गया हो, उनके द्वारा भी हम संप्रेषण करते हैं। उन्है। हम संकेतों द्वारा संप्रेषण कहते हैं। 


हम अपने राष्ट्रीय ध्वज को सलाम करते हैं। हाथ मिलाना, सिर को हिलाना, चेहरे पर क्रोध के भाव लाना, राष्ट्र गान के समय सावधान की अवस्था में रहना आदि यह सभी संकेत के माध्यम से संप्रेषण के उदाहरण हैं।


संप्रेषण की प्रक्रिया

एक स्थान से दूसरे स्थान सन्देश भेजने और उसका उत्तर प्राप्त करने आपको किसी माध्यम की आवश्यकता होती है जो कि संप्रेषण के साधन कहलाते हैं। संप्रेषण के विभिन्न माध्यम हैं- डाक पत्र प्रेषण सेवा, कुरीयर सेवा, टेलीफोन, टेलीग्राम, इन्टरनेट, फैक्स, ई-मेल, वायस मेल, आदि। इन साधनों को संप्रेषण सेवाएं भी कहते हैं व्यवसाय हतेु प्रभावी संप्रेषण सेवाओं को दो भागों में बाटा जा सकता है:-

1. डाक सेवाए

2. दूरसंचार सेवाएं


1. डाक सेवाएं

डाक से लिखित सन्देश भेजने के लिए पोस्टकार्ड, अन्तर्देशीय पत्र या लिफाफों का प्रयोग किया जाता है। ये सन्देश परिवहन के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाए जाते हैं। डाक सेवाओं में दशेा के भीतर एवं देश के बाहर सन्देश भेजने की सेवाएं दी जाती है। डाक भेजने और पाने वाला, दोनों एक ही देश में रहते हों तो यह अन्तदर्शेीय डाक सेवा कहलाती है जबकि डाक भेजने वाला और पाने वाला दोनों अलग-अलग देशों में रहते हों तो इसे अन्तरराष्ट्रीय डाक सेवा कहते है। 


सामान भेजने के लिए पार्सल सेवा का प्रयोग होता है तो छपे हुए सन्देश हेतु बुक पोस्ट सेवा का प्रयोग होता है। डाकघर की कुछ विशिष्ट डाक सेवाओं के बारे में संक्षिप्त वर्णन हैं:-


1. डाक प्रेषण प्रमाण पत्र- सामान्य पत्रों के लिए डाक घर कोई रसीद नहीं देता है। लेकिन यदि पत्र प्रेषक इस बात का प्रमाण चाहता है कि उसने वास्तव में पत्र को डाक से भेजा था तो उसे निर्धारित फीस के भुगतान पर डाकघर एक प्रमाण पत्र जारी करता है जिसे डाक प्रेषण प्रमाण पत्र कहते है। इन पत्रों पर ‘डाक प्रमाण पत्र के अन्तर्गत’ (UPC) अंकित होता है।


2. पंजीकृत डाक- यदि डाक भेजने वाला चाहता है कि डाक को प्रेषणी को अवश्य सुपुर्द किया जाये और ऐसा नहीं होने पर डाक को उसे लौटा दिया जाये तो इसके लिए डाक घर पंजीकृत डाक सेवा की सुविधा प्रदान करते हैं। इस सेवा के बदले डाकघर अतिरिक्त राशि लेता है तथा पंजीकृत डाक के लिए प्रेषक को रसीद जारी करता है।


3. बीमाकृत डाक- यदि डाक अथवा पार्सल के रास्ते में ही नष्ट अथवा क्षतिग्रस्त होने का भय हो तो इन्हें भेजने वाला प्रीमीयम का भुगतान कर डाकघर से ही इनका बीमा करवा कर अपना सामान भेज सकता है। इस स्थिति में डाकघर बीमाकार के रूप में कार्य करता है एवं क्षति होने पर उसकी पूर्ति करता है। बीमा प्रीमियम का भुगतान डाक भेजने वाला करता है।


4. द्रुतगामी डाक- अतिरिक्त फीस का भुगतान कर कुछ चुने हुए स्थानों में शीघ्र से शीघ्र निश्चित समय से व गारन्टी सहित डाक की सुपुर्दगी की सेवा है। यह सुविधा भारत में 1000 डाकघरों में उपलब्ध है तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर 97 देशों के लिए उपलब्ध है।



2. दूर संचार सेवाएं

भारत में पहली टेलीग्राम लाइन सन्देश भेजने के लिए 1851 में खोला गया, कोलकाता और डायमण्ड हारबर के बीच। पहली टेलीफोन सेवा का प्रारम्भ कोलकाता में 1881-82 में किया गया। पहला स्वचालित एक्सचजे शिमला में 1913-14 में प्रारम्भ किया गया। वर्तमान में भारत में टेलीफोनों की संख्या के आधार पर विश्व में 10 वां बड़ा नेटवर्क है। भारत की दूरसंचार सेवाओं का संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है।


1. स्थाई लाइन फोन- स्थाई लाइन फोन अथवा टेलीफोन मौखिक संप्रेषण का अत्यधिक लोकप्रिय साधन है। यह व्यवसाय में आन्तिरिक एवं बाह्य संप्रेषण के लिए बहुत अधिक प्रयोग में आता है। इससे मौखिक बातचीत, चर्चा एवं लिखित संदेश भेजा जा सकता है। हमारे देश में सरकार एवं निजी दूरसंचार कम्पनियां यह सेवा प्रदान कर रही है।


2. सैल्यूलर सेवाएं- आजकल सैल्यूलर अर्थात मोबाइल फोन बहुत लोकप्रिय हो गये हैं क्योंकि इससे संदेश प्राप्तकर्ता तक हर समय एवं हर स्थान पर पहुंचा जा सकता है। यह स्थाई लाइन टेलीफोन का सुधरा रूप है। इसमें कई आधुनिक विशेषताएं है जैसे कि संक्षिप्त संदेश सेवा, मल्टीमीडिया मैसेजिगं सेवाएं, आदि। एमटीएनएल, बीएसएनएल, एयरटैल, आइडीया, वोडाफोन, रियालन्स एवं टाटा हमारे देश की अग्रणी मोबाइल सेवा प्रदान करने वाली कम्पनियां हैं।


3. टेलीग्राम- यह एक प्रकार का लिखित संप्रेषण है जिसके माध्यम से संदेश को शीघ्रता से दूर स्थानों को भेजा जा सकता है। इसका प्रयोग अति-आवश्यक छोटे संदेशों के प्रेषण के लिए किया जाता है। यह सुविधा टेलिग्राफ ऑफिस में उपलब्ध होती है।


4. टैलेक्स-टेलैक्स में टेलीप्रिटंर का उपयोग होता है। यह मुद्रित संप्रेषण का माध्यम है। टेलीप्रिंटर एक टेली टाइप राइटर है जिसमें एक मानक की बोर्ड होता है तथा यह टेलीफोन के द्वारा जुड़ा होता है।


5. फैक्स- फैक्स या फैक्सीमाईल एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जिससे हस्तलिखित अथवा मुद्रित विषय को दूर स्थानों को भेजा जा सकता है। टेलीफोन लाइन का प्रयोग कर यह मशीन दस्तावेज की हूबहू नकल प्राप्त करने वाली फैक्स मशीन पर भेज देती है। आज व्यवसाय में लिखित संप्रेषण के लिए इसका प्रचलन काफी बढ़ गया है।


6. वाइस मेल- यह कम्प्यूटर आधारित प्रणाली है जिसके द्वारा आने वाले टेलीफोन को प्राप्त करके उसका जवाब दिया जाता है। वाइस मेल में कम्प्यूटर की मेमोरी द्वारा टेलीफोन से आये संदेशों को जमा किया जाता है। टेलीफोन करने वाला वाइस मेल का नंबर डायल करता है फिर कम्प्यूटर द्वारा दिए निर्देशो का पालन कर आवश्यक सूचना ले सकता है। लोग वाइस मेल पर अपना संदेश रिकार्ड भी करा सकते है और फिर उसका जवाब भी दे सकते है।


7. ई-मेल- इलैक्ट्रानिक मेल का लोकप्रिय नाम ई-मेल है। यह संप्रेषण का आधुनिक साधन है। इसमे मुद्रित संदेश ,तस्वीर ,आवाज आदि को इन्टरनैट के माध्यम से एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर पर भेजा जाता है 


8. एकीकृत संदेश सेवा- यह प्रणाली है जिसमे टेलीफोन उपकरण, फैक्स मशीन, मोबाईल फोन व इन्टरनैट ब्राउजर का उपयोग कर एक ही मेल बाक्स, पर फैक्स, वाइस मेल और ई-मेल संदेश प्राप्त किए जा सकते हैं।


9. टैलीकान्फ्रैसिंग- टेलीकान्फ्रैंसिग वह प्रणाली है जिसमे लोग आमने सामने बैठे बिना एक दूसरे से बातचीत कर सकते है। लोग दूसरे की आवाज सुन सकते हैं एवं उनकी तस्वीर भी देख सकते हैं। अलग अलग देशो मे बैठे हुए लोग भी एक दूसरे के प्रश्नों का उत्तर दे सकते है। इसमे टेलीफोन, कम्प्यूटर, टेलीविजन जैसे आधुनिक उपकरणों का उपयोग किया जाता है।

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